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AMU : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार,सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से सुनाया फैसला

नई दिल्ली। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से फैसला सुनते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है।शीर्ष अदालत ने कहा कि यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को नए सिरे से तय करने के लिए तीन जजों की एक समिति गठित की है
कोर्ट का कहना है कि अब नई बेंच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU ) को अल्पसंख्यक दर्जा देने के मानदंड तय करेगी

शीर्ष अदालत ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU ) एक अल्पसंख्यक संस्थान हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। मगर धार्मिक समुदाय संस्था का प्रशासन नहीं देख सकता है। संस्थान की स्थापना सरकारी नियमों के मुताबिक की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU ) संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है।इस मामले पर सीजेआई समेत चार जजों ने एकमत से फैसला दिया है जबकि तीन जजों ने डिसेंट नोट दिया है

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU ) का इतिहास :

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU ) की स्थापना 1875 में सर सैयद अहमद खान द्वारा ‘अलीगढ़ मुस्लिम कॉलेज’ के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य मुसलमानों के शैक्षिक उत्थान के लिए एक केंद्र स्थापित करना था जिसको 1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला और इसका नाम ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU )’ रखा गया।

क्या है विवाद?

सुप्रीम कोर्ट ने 1967 में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU ) एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। लिहाजा इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता। साल 1968 के एस. अजीज बाशा बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट नेअलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( AMU )को केंद्रीय विश्वविद्यालय माना था, लेकिन साल 1981 में एएमयू अधिनियम 1920 में संशोधन लाकर संस्थान का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल कर दिया गया था। बाद में इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इसके बाद देशभर में मुस्लिम समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किए जिसके चलते साल 1981 में एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाला संशोधन हुआ। साल 2005 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1981 के एएमयू संशोधन अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया।

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Author: amarvarta

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